मंगलवार, अगस्त 03, 2010

...हारकर भी जीते लोहिया

इतिहास से दिलचस्प मुकाबले

तीसरे लोकसभा चुनाव में इलाहाबाद में पंडित नेहरु से एक पत्रकार ने सवाल पूछा  कि  आप अपना वोट किसको देंगे? नेहरु का जवाब था, राम मनोहर लोहिया को. यह लोहिया का समाजवादी चेहरा और ईमानदार व्यक्तिव था, जो विरोधियो को भी बहुत भाता था. इस चुनाव में फूलपुर संसदीय शेत्र से नेहरु और लोहिया आमने- सामने थे. नेहरु कांग्रेस के उम्मीदवार थे और लोहिया प्रजा सोसलिस्ट पार्टी के. इस चुनाव के परिणाम बहुत चौकाने वाले नहीं थे. लोहिया चुनाव हार गए. इस सीट से नेहरु की तीसरी जीत थी. यह नेहरु का विशाल व्यक्तिव था, जो लोहिया पर भारी पडा. नेहरु तीसरी बार देश के प्रधानमन्त्री बने, लेकिन एक बात तय है की लोहिया ने इस छेत्र पर अपनी जो छाप छोड़ी, उसके दूरगामी परिणाम रहे. लोहिया की उत्कंठा लोकसभा में जाने की थी. उनका मानना था कि संसद पब्लिक विचारों का आइना है. लोहिया जो ठान लेते थे, उसे पूरा करके ही दम लेते थे. इस मामले में भी यही हुआ. 1963  में उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद संसदीय सीट पर उपचुनाव हुए और लोहिया चुनाव जीतकर संसद पहुचे.
लोहिया सही अर्थो में समाजवादी नेता थे. वे उन समाजवादी नेताओ में थे जिन्होंने समाजवाद को जिया. उनके निधन के समय उनके बैंक अकाउंट में एक भी पैसा नहीं था. तीसरी लोकसभा में प्रधानमन्त्री के ऊपर किये जाने वाले खर्च को लेकर जो उन्होंने सवाल उठाये, उसका जवाब शायद कांग्रेस के पास नहीं था. उन्होंने प्रधानमन्त्री की सुरक्षा पर होने वाले खर्च पर सवाल उठाया. लोकसभा में दिए गए अपने एतिहासिक भाषण में उन्होंने कहा था की देश की 27 करोड़ आबादी की एक दिन की कमाई केवल 21 पैसे है, जबकि इस देश के प्रधानमन्त्री की सुरक्षा पर रोज पांच हजार रुपये खर्च होते हैं. आज भले ही लोहिया का यह सवाल लोकसभा का सामान्य सा प्रशन लगे, लेकिन लोहिया ने यह सवाल उस दौर में पूछने का साहस किया था, जब लोकसभा कांग्रेस्मई थी. सदन में विपक्ष के नाम पर कुछ भी नहीं था और नेहरु के आगे बड़े-बड़ो की आवाज़ नहीं निकलती थी.

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