गुरुवार, फ़रवरी 03, 2011

पर्यावरण को बचाने के प्रयास


आद्र्र भूमि में छिपे जीवन के राज
 
 दुनियाभर में पर्यावरण को बचाने के प्रयासों के तहत आद्र्र भूमि (वेटलैंड) संरक्षण सबसे अहम पहलू है। पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि जैवविविधता और भोजन श्रृंखला को सुचारू तौर पर चलाने का लक्ष्य वेटलैंड संरक्षण के बिना नहीं पाया जा सकता। हमारे देश में दलदल और मैंग्रोव के तौर पर आद्र्र भूमि मौजूद है, जिन्हें बचाने के लिए पर्यावरण कार्यकर्ता लगातार प्रयासरत हैं।

वेटलैंड किसी जलक्षेत्र के आसपास की आद्र्र भूमि को कहा जाता है। ऐसी भूमि सूखे की स्थिति में पानी को बचाने में मदद करते हैं। इतना ही नहीं बाढ़ के हालात में यह पानी का स्तर कम करने और  सूखी मिट्टी को बांध कर रखने में मददगार होते हैं। मुंबई और  दिल्ली जैसे महानगरों में ऐसी भूमि को सबसे तेजी से नुकसान पहुंच रहा है। जलस्रोत  के बहुत नजदीक तक निर्माण कार्य होने से आद्र्र भूमि के अस्तित्व पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं।

नियमानुसार किसी भी जलीय क्षेत्र के आसपास निर्धारित दूरी तक निर्माण कार्य नहीं होना चाहिए, लेकिन शहरों में तो जल के स्रोत  की छाती चीर कर भी इमारतें बनाई जा रही हैं। अगर अब भी हम नहीं चेते तो न तो हम सूखे से बच पाएंगे और न ही बाढ़ से। आद्र्र भूमि न केवल मनुष्य को प्राकृतिक आपदा के कहर से बचाता है, बल्कि वन्यजीवों के जीवन में भी इनका अहम स्थान है।

आद्र्र भूमि वन्य प्राणियों के लिए अहम 'फीडिंग, ब्रीडिंग  और ड्रिंकिंग " क्षेत्र हैं। ऐसी भूमि के नमूनों का अध्ययन करने पर पता चलता है कि यह जैवविविधता और भोजन श्रृंखला का सबसे नायाब उदाहरण होता है। भारत के उड़ीसा महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश जैसे कई प्रदेशों में आद्र्र भूमि संरक्षण के लिए विभिन्न परियोजनाएं चल रहीं हैं, लेकिन इनका हश्र भी दूसरी सरकारी योजनाओं की तरह ही हो रहा है। अगर यही स्थिति रही तो हमारे पास जैवविविधता को दिखाने के लिए कोई साधन नहीं बचेगा।
विश्व वेटलैंड दिवस : हर साल दो फरवरी को मनाया जाता है। इसी दिन 1871 में ईरान के रामसर शहर में आद्र्र भूमि पर एक समझौते (कंवेंशन ऑन वेटलैंड) पर हस्ताक्षर हुए थे। इसके तहत दुनियाभर में जैवविविधता संरक्षण के लिए आद्र्र भूमि को बचाने के विभिन्न उपायों पर विचार-विमर्श हुआ। रामसर सम्मेलन में वेटलैंड को ऐसी दलदली भूमि के तौर पर परिभाषित किया गया था, जहां जलीय स्रोत का पानी स्थाई तौर पर संरक्षित रहता है। इस तरह नदियों तालाबों से लेकर समुद्रों तक के आसपास की भूमि वेटलैंड के दायरे में आती है।

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