गुरुवार, अगस्त 05, 2010

ख़त्म हुआ इंदिरा का वनवास

इतिहास से दिलचस्प मुकाबले


एक शेरनी, सौ लंगूर, चिकमंगलूर, चिकमंगलूर! 1978 में कांग्रेस का यह चुनावी नारा पूरे देश की जुबान पर था.  दरअसल, कर्नाटक की चिकमंगलूर संसदीय सीट पर उपचुनाव हो रहा था और इंदिरा जी इस सीट से चुनाव लड़ रही थीं. कुप्पा में हुई वरिष्ट कांग्रेसी नेताओं की बैठक के बाद कार्यकर्ताओं के आग्रह पर ही इस सीट से इंदिरा ने चुनाव लड़ने की हामी भरी. 1977  के आम चुनाव में विरोधियो से पस्त हुई इंदिरा गाँधी और कांग्रेस के पास राजनीति  की मुख्यधारा में लौटने का यह सुनहरा मौका था. इस उपचुनाव में चिकमंगलूर देश की राजनीति का मुख्य केंद्र बिंदु बन गया. पूरे देश की निगाहें इस सीट के नतीजे पर टिक गयी. इंदिरा को परास्त करने के लिए एक बार फिर देश में कांग्रेस विरोधी खेमा एकजुट हुआ. कांग्रेस ने भी इस सीट को जीतने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी. इंदिराजी जीतीं और विपक्ष की पराजय हुई. इंदिरा ने अपने प्रतिद्वंदी को  77,333 मतों से पराजित किया. इस चुनाव में इंदिरा को 2,49,376 मत और उनके प्रतिद्वंदी के प्रत्याशी वीरेंदर पाटिल को 1,72,043 मत मिले. इंदिराजी की जीत से कांग्रेस में जान आ गयी और एक बार फिर जोश से भर गयी. चिकमंगलूर की जीत  कांग्रेस के लिए मील का पत्थर साबित  हुई. इसने 1980 के आम चुनावों  में कांग्रेस की कामयाबी  का ट्रेलर दिखा दिया. इस चुनाव में कांग्रेस एक बार फिर भारी बहुमत से सत्ता में लौटी.

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