बुधवार, अगस्त 04, 2010

...जब इंदिरा गाँधी हारीं

इतिहास से दिलचस्प मुकाबले
 भारतीय राजनीति  के पन्ने पलटें तो एक रोचक अध्याय प्रधानमन्त्री इंदिरा गाँधी और राज नारायण के चुनावी मुकाबले का भी है. इसकी परिणति इंदिरा गाँधी के इमरजेंसी यानी आपातकाल लगाने में हुई. राज नारायण रायबरेली से चुनाव लड़ते थे और हारते रहते थे. 1971 में वह इंदिरा गांधी के खिलाफ चुनाव लड़े और हारे. हार के चार साल बाद राज नारायण ने चुनाव परिणाम के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील की.  12 जून 1975 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सबूतों को प्रयाप्त मानते हुए एतिहासिक फैसले में इंदिरा गाँधी को लोकसभा छोड़ने का आदेश दिया और 6  सालों के लिए उनके चुनाव लड़ने पर प्रतिबन्ध लगा दिया. इंदिरा ने इस्तीफा देने से मना कर दिया. जय प्रकाश नारायण ने आन्दोलन का आह्वान किया.  उस समय फखरुद्दीन अली अहमद भारत के राष्ट्रपति थे. मंत्रिमंडल ने आपातकालीन की सिफारिश की और 26 जून 1975 सविंधान की धारा 352  का हवाला देते हुए आपातकाल की घोषणा की गयी. जनवरी 1977 में इंदिरा गाँधी ने आपातकाल समाप्त कर लोकसभा चुनाव की घोषणा की. जनता ने कांग्रेस को करारा जवाब दिया. राज नारायण इंदिरा गाँधी को हराने वाले एकमात्र नेता बने. 1977 में इंदिरा गांधी की हार भारतीय चुनाव में एतिहासिक थी. जनता पार्टी की सरकार सत्ता में तो आ गयी, लेकिन प्रधानमन्त्री मोरारजी देसाई और गृहमंत्री चौधरी चरण सिंह में टकराव शुरू हो गया. चरण सिंह और राज नारायण जैसे नेता भी प्रधानमन्त्री मोरारजी देसाई से अलग हो गए. कांग्रेस ने समर्थन वापस ले लिया और चरण सिंह की सरकार गिर गयी. इंदिरा गांधी के नेतृतव  में 1980 में कांग्रेस बहुमत से चुनाव जीती. 

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