शनिवार, अगस्त 21, 2010

विदेशी बनाम स्वदेशी बहू

इतिहास से दिलचस्प मुकाबलें
स्वदेशी बनाम विदेशी. 13वीं लोकसभा चुनाव में कर्नाटक की बेल्लारी संसदीय सीट पर भाजपा का यह प्रमुख चुनावी मुद्दा था. सोनिया गाँधी इस सीट से चुनाव लड़  रही थीं. यह उनका पहला चुनाव था. इस चुनाव में भाजपा ने अपनी तेज तर्रार नेता सुषमा स्वराज को उतारा. वस्तुतः यह मुकाबाला सोनिया बनाम सुषमा का नहीं बल्कि कांग्रेस बनाम भाजपा का था. इसमें न केवल सोनिया के राजनीतिक भविष्य का निर्धारण होना था, बल्कि सुषमा का राजनीतिक करियर भी दाव पर था. सोनिया को हराने के लिए जनता दल और लोकशक्ति भी सुषमा की मदद के लिए आगे आये. मुकाबला काटें का था. भाजपा ने अपने चुनाव में स्वदेशी बनाम विदेशी बहू का मुद्दा उठाया. अचरच की बात नहीं कि पहली बार पूरी बेल्लारी ने जाना कि इंदिरा गाँधी की बहू और राजीव गाँधी की पत्नी इटली की रहने वालीं हैं. 1952 से यहाँ दो बार ही विपक्ष का प्रत्याशी चुनाव जीतने में सफल रहा. बाकी चुनावों में कांग्रेस की जीत हुई. यह क्षेत्र सही मायनों में कांग्रेस का गढ़ है. यही समीकरण सोनिया गाँधी को बेल्लारी खींच कर ले गया. सोनिया को हराने में विरोधियों ने भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ी, पर भाजपा का यह दाव काम नहीं आया और सुषमा की हार हुई. इस हार का सुषमा के राजनीतिक करियर पर भी असर पड़ा. सुषमा हारीं लेकिन 1999 में ही भारतीय जनता पार्टी और सहयोगियों दलों की केंद्र में सरकार बनी. अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमन्त्री हुए. सोनिया गाँधी का परचम बेल्लारी और उप्र की अमेठी में लहराया. इस चुनाव  में वे दोनों संसदीय सीट से चुनाव जीतीं भी.

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