शनिवार, सितंबर 25, 2010

अव्यवस्था की भेंट चढ़े गजराज

कुछ खास

रेलवे पर क्षुब्ध हुए पर्यावरण मंत्री : पश्चिम बंगाल के जलपाइगुड़ी रेल पटरियों पर बृहस्पतिवार को हुई सात हाथियों की मौत से क्षुब्ध पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने कहा कि वह जल्द ही रेलवे बोर्ड से मिलेंगे, ताकि हाथियों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।  उन्होंने घटना पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि विगत समय में वह रेल मंत्री ममता बनर्जी आैर रेलवे बोर्ड के अधिकारियों को कई पत्र लिख चुके हैं। ऐसे हादसों को टालने के लिए उठाए जाने वाले कदमों पर चर्चा कर चुके हैं।
 टास्क फोर्सकी सिफारीश :  हाल में पर्यावरण मंत्रालय को सौंपी गई रिपोर्ट में हाथी को राष्ट्रीय पशु धरोहर का दर्जा देने तथा एक जंगल से दूसरे जंगल में उनके आने जाने के रास्तों की रक्षा करने के लिए कदम उठाने की सिफारिश की गई है।
   

कारण तथा निदान
 -पश्चिम बंगाल के  प्रधान मुख्य वन संरक्षक अतनु राहा ने कहा कि मीटर गेज को ब्राड गेज में बदले जाने के बाद हाथियों के ट्रेन से कुचलकर मरने की घटनाएं बढ़ गई हैं। दरअसल जब मीटर गेज था तब कुछ ट्रेनें चलती थी आैर हाथियों को उनके गुजरने का समय मालूम होता था, लेकिन गेज परिवर्तन के बाद हर समय मालगाडियां गुजरती रहती है, जिससें हाथी संशय में पड़ जाते हैं आैर ऐसे हादसे होते हैं।
-गेज परिवर्तन के खिलाफ वर्ष 2001 में जनहित याचिका दायर करने वाले डब्ल्यूपीएसआई के पूर्वी क्षेत्र के निदेशक कर्नल एस बनर्जी ने कहा कि उनकी आशंका अब सही साबित हो रही है। हाथियों को ऐसे हादसों से बचाने के लिए उपरिगामी ट्रेन का सुझाव आया है।
-संयोग से जलपाईगुड़ी क्षेत्र हाथी गलियारे के रूप में घोषित है आैर हाथियों को सुरक्षित रूप से गुजरने देने के लिए रेलवे से ट्रेनों की गति धीमी करने जैसे विशेष कदम उठाने को कहा गया है।
23 वर्षों में 150 गजराज चढ़े भेंट

    

    










 राज्य               शिकार हुए गजराज
    असम   :            54
    प. बंगाल :        39
       उत्तराखंड :    21
        झारखंड :     15
    तमिलनाडु :   09
   उत्तर प्रदेश :  06
           केरल  :   03
         उड़ीसा :      03
-हादसे जनवरी से जून के बीच रात के समय ज्यादा हुए
-जब जंगली जानवर भोजन-पानी की तलाश में निकलते हैं
-जंगलों में रात के समय ट्रेनों की गति कम रखनी चाहिए
-घटनाओं को टालने के लिए ट्रेन के ड्राइवर, गार्ड आैर मुसाफिरों को भी संवेदनशील बनाने की जरूरत
(रुाोत :  पर्यावरण मंत्रालय की 'ऐलीफेंट टास्क फोर्स" की नवीनतम रिपोर्ट)

कमेंट........
आखिर कौन है जिम्मेदार ?  एक साथ सात हाथियों की रेलवे पटरियों पर मौत की आवाज राजनीतिक गलियारों में नहीं सुनाई पड़ी।  पश्चिम बंगाल की जलपाइगुड़ी की घटना पर किसी ने हो हल्ला नहीं किया। पशुओं पर दया दिखाने वाली मेनका गांधी के सूर भी इस बार नहीं सुनाई पड़े। राजनीतिक दल भी मौन हैं, क्यों कि इससे उनको कोई राजनीतिक फायदा नहीं मिलने वाला है। फिर वे अपनी मेहनत आैर ऊर्जा क्यों अनायास बेकार करते। फिलहाल पर्यावरणविदों ने जलपाईगुड़ी की घटना को हत्या करार दिया है आैर रेलवे के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है

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