बुधवार, जून 29, 2011












लोकपाल दायरे में नहीं होगा न्यायपालिका : पीएम
 अपने को लोकपाल के दायरे में शामिल करने से कोई परहेज नहीं जताने के साथ ही प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने उच्च न्यायपालिका को इसके अंतर्गत लाने से इंकार कर दिया।
 प्रधानमंत्री ने कहा कि उच्च न्यायपालिका को लोकपाल के अंतर्गत लाने से यह संविधान की भावना के विपरीत हो जाएगा। उच्च न्यायपालिका के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा कि इसे लोकपाल के दायरे में लाने के बारे में स्पष्ट आपत्ति है। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका को संविधान के दायरे में अपने मामलों को स्वयं संचालित करने के तरीके ढूंढने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। सिंह ने सवाल किया, अगर शीर्ष अदालत को लोकपाल के दायरे में ले आया गया तो वह पेचीदा मुद्दों पर फैसले कैसे करेगी। सिंह ने कहा कि हम व्यापक राष्ट्रीय सहमति कायम करने के लिए ईमानदारी से काम करेंगे, ताकि मजबूत लोकपाल के लिए हम कानून बना सकें।
केंद्र और राज्य सरकारों के सभी कर्मचारियों को लोकपाल के अंतर्गत लाने की हजारे पक्ष की मांग के बारे में उन्होंने कहा, 'मुझे शक है कि हमारी व्यवस्था इस दबाव को सहन करने में सक्षम हो पाएगी। हमें अपने आप को उच्च स्तर पर हो रहे भ्रष्टाचार तक केन्द्रित रखना चाहिए, जो कहीं अधिक घृणित है।" उन्होंने कहा कि वह समाज के सदस्यों का सम्मान करते हैं। इसीलिए वह उनसे संवाद कायम किए हुए हैं। उन्होंने अन्ना हजारे से मार्च में मुलाकात के दौरान वादा किया था कि सरकार संसद के मानसून सत्र में लोेकपाल विधेयक लाने के लिए प्रतिबद्ध है।
 

सिंह ने कहा हालांकि, दो तीन दिन के भीतर ही उन्होंने पाया कि हजारे को कुछ अन्य शक्तियां नियंत्रित कर रही थीं। उन्होंने कहा कि इसी तरह उनकी सरकार ने योगगुरु रामदेव से पूरी ईमानदारी से बातचीत की थी। यह प्रयास इसलिए किया गया ताकि उनके साथ बेवजह की गलतफहमी पैदा न हो।
 

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