शनिवार, जून 25, 2011

मादक पदार्थो की तस्करी : भेंट चढ़ते मासूम


26 जून : अंतरराष्ट्रीय मादक पदार्थ निरोधक दिवस
  दुनियाभर में नशीले पदार्थों के व्यापार को बढ़ावा देने वाले नशे के सौदागर गरीब और अनाथ बच्चों का इस्तेमाल इस धंधे को आगे बढ़ाने में कर रहे हैं। इसके लिए वे बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और  छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों से बच्चों को तस्करी करके लाया जाता है। उनको बाल मजदूरी तथा नशीले पदार्थो की तस्करी जैसे कामों में लगाया जाता है।
  बच्चे आसानी से तस्करों के गिरफ्त में आ जाते हैं। इसलिए उनका इस्तेमाल मादक पदार्थों की तस्करी में किया जाता है। यह बहुत खतरनाक अवधारणा है, जो लगातार बढ़ती जा रही है। मादक पदार्थो की तस्करी करने वाले बच्चो को बाल न्याय अधिनियम के तहत बहुत कम सजा दी जाती है, जिसका तस्कर फायदा उठाते हैं।
     बड़ी संख्या में बच्चे उत्तर पूर्व से मादक पदार्थ तस्करी कर उसे बिहार और उत्तर भारत के अन्य राज्यों में आपूर्ति करते हैं। दिल्ली में 50 हजार बच्चे सड़कों पर रहते हैं। इनमें से ज्यादातर नशीले पदार्थों का सेवन करते हैं। उसकी तस्करी भी करते हैं। बच्चों को बाल मजदूरी और तस्करी के धंधे में धकेलने वाले लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई नहीं की जाती। इससे अपराधी बिना डर के इस तरह की गतिविधियों को अंजाम देते हैं। 
जागी दुनिया...   वैश्विक स्तर पर नशीले पदार्थो के बढ़ते इस्तेमाल के खिलाफ दिसम्बर, 1987 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 26 जून के दिन को मादक पदार्थो की तस्करी एवं गैर कानूनी प्रयोग के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय दिवस के रूप में घोषित किया।

यूएनओडीसी की रिपोर्ट-विश्वभर के 21 करोड़ लोग या 15 से 64 साल उम्र की विश्व की 4.9 प्रतिशत जनसंख्या नशीले पदार्थों का इस्तेमाल करती है।
-प्रति वर्ष दो लाख लोग मादक पदार्थों के इस्तेमाल के कारण मारे जाते हैं।
-मादक पदार्थो की तस्करी दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा व्यवसाय है।
-वर्ष 2010 में विश्वभर में अफीम की खेती 1,95,700 हेक्टेयर में हुई।
-अफगानिस्तान में विश्वभर के कुल अफीम उत्पादन का करीब 74 प्रतिशत हिस्सा या 3,600 टन पैदा होता है।


'जब तक कि हम अवैध नशीले पदार्थों की मांग की कम नहीं करते हैं तब तक हम पूरी तरह से उनकी फसलों के उत्पादन या उनकी तस्करी को पूरी तरह से रोक नहीं सकते हैं।"                                      बान की मून (संयुक्त राष्ट्र महासचिव)

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