शनिवार, जून 11, 2011

टांय-टांय फिस हुए बाल श्रम रोकने के दावे

वल्र्ड डे एगेंस्ट चाइल्ड लेबर डे पर विशेष
अंतरराष्ट्रीय और  राष्ट्रीय स्तर पर बाल श्रम को रोकने के लिए बड़े-बड़े कानून बनाए गए है। इसे रोकने के भी दावे किए गए। बावजूद इसके देश की राजधानी सहित सभी कोनों में बाल श्रम बदस्तूर जारी है। अंतरराष्ट्रीय बाल श्रम संगठन ने बच्चों के अधिकारों के लिए एक प्रोटोकॉल बनाया है, ताकि पूरी दुनिया से बाल श्रम को खत्मा किया जा सके। इस प्रोटोकॉल का अनुमोदन करने वाले देश को बच्चों की बिक्री, बाल वेश्यावृति और बच्चों की प्रोर्नोग्राफी पर पूर्ण रोक लगानी होती है। इन सभी को अपराध की श्रेणी में शामिल करना होता है। मगर भारत ने अभी तक इस प्रोटोकॉल का अनुमोदन नहीं किया है। हाल ही में हमारा पड़ोसी देश पाकिस्तान ने भी बाल अधिकारों पर सम्मेलन के वैकल्पिक प्रोटोकॉल का अनुमोदन कर दिया है। ऐसा करने वाला वह दुनिया का 144वां देश बन गया है।
  दुनिया के 126 देशों में बाल श्रम के खिलाफ एक साथ हुए प्रदर्शन के बाद अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन ने पहली बार वर्ष 2002 में 'वल्र्ड डे एगेंस्ट चाइल्ड लेबर" की शुरुआत की। इस दिन की शुरुआत इन बच्चों की परेशानियों को लोगों के सामने लाने के लिए की गई। आईएलओ (अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन) ने इस दिन की शुरुआत पूरी दुनिया में बाल श्रम के खिलाफ चल रहे मुहिम के लिए उत्प्रेरक के तौर पर काम करने के लिए किया। बाल अधिकारों पर सम्मेलन के वैकल्पिक प्रोटोकॉल का अनुमोदन वर्ष 2000 में संयुक्त राष्ट्र संघ महासभा में हुआ।
दिसम्बर वर्ष 2010 तक हमारे देश में करीब 6 करोड़ बाल श्रमिक हैं। इनमें से करीब एक करोड़ बच्चे बंधुआ मजदूर हैं। इस एक करोड़ में से 50 लाख तो बंधुआ मजदूरों के बच्चे होने के कारण जन्म से ही बंधुआ मजदूर हैं, जबकि शेष 50 लाख आैद्यौगिक ईकाइयों में काम करने वाले बच्चे हैं।" राष्ट्रीय बाल अधिकार आयोग की बेवसाइट पर मौजूद वर्ष 2001 की जनगणना के अनुसार देश में बाल श्रमिकों की संख्या 1.27 करोड़ है। इसमें बंधुआ सहित तमाम तरह के बाल श्रमिक शामिल हैं।
फिलहाल, हमारे देश में राष्ट्रीय बाल आयोग के अलावा दिल्ली एवं बिहार सहित केवल नौ राज्यों में बाल अधिकार आयोग हैं। मगर इन बाल अधिकार आयोगों के पास पर्याप्त शक्तियां नहीं होने के कारण यह बाल श्रम को रोकने में लगातार नाकाम साबित हो रहे हैं। डॉक्टर आनंद कहती हैं, 'बाल श्रम को रोकना सिर्फ सरकार का काम नहीं है। इसे रोकने के लिए हमें खुद जागरूक होना पड़ेगा।"

नौ वर्ष पूर्व हुई शुरुआत

दुनिया के 126 देशों में बाल श्रम के खिलाफ एक साथ हुए प्रदर्शन के बाद अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन ने पहली बार वर्ष 2002 में 'वल्र्ड डे एगेंस्ट चाइल्ड लेबर" की शुरुआत की। आईएलओ (अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन) ने इस दिन की शुरुआत पूरी दुनिया में बाल श्रम के खिलाफ चल रहे मुहिम के लिए उत्प्रेरक के तौर पर काम करने के लिए किया। बाल अधिकारों पर सम्मेलन के वैकल्पिक प्रोटोकॉल का अनुमोदन वर्ष 2000 में संयुक्त राष्ट्र संघ महासभा में हुआ।

 

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