बापू के स्मृति चिह्नों की लंदन में होगी नीलामी
वर्ष 1948 में महात्मा गांधी की हत्या के बाद उनके खून से भीगी चुटकी भर रेत, उनके हस्तलिखित पोस्ट कार्ड्स और एक चश्मे की लंदन में नीलामी की जाएगी।
अब तक बापू के ये स्मृति चिह्न केरल के एक सेवानिवृत्त शिक्षक तथा गांधीवादी एंटनी चित्ताट्टुकारा ने अपने पास संजो कर रखे थे। उनका कहना है कि बापू के इन अमूल्य स्मृति चिह्नों को लंदन स्थित लुडलो रेसकोर्स के मुलोक्स में नीलामी के लिए रखा जाएगा। एंटनी ने कहा कि बापू की धरोहरों की प्रामाणिकता एवं इनके एंटनी के अधिकार में आने की परिस्थितियों के बारे में स्पष्टीकरण जैसी औपचारिकताएं पूरी होने के बाद नीलामी की तारीख घोषित की जाएगी। उन्होंने कहा कि उनके संग्रह में बापू के आठ पत्र, कुछ हस्तलिखित पोस्टकार्ड, कुछ टाइप किए हुए पत्र, चश्मा, बापू की मातृभाषा गुजराती में लिखी प्रार्थना की पुस्तिका, प्रार्थना सभाओं में दिए गए उनके भाषणों का एक ग्रामोफोन रिकार्ड हैं। यह वह चश्मा है जिसे बापू लंदन में कानून की पढ़ाई के दौरान पहनते थे। इसके साथ ही, लंदन के नेत्र रोग विशेषज्ञ द्वारा दिया गया फलालैन का एक टुकड़ा भी उनके संग्रह में है।
एंटनी के अनुसार, बापू के स्मृतिचिह्नों को उन्होंने करीब 20 साल से बैंक के लॉकर में रखा है। उन्होंने बताया कि पूर्व में कुछ नीलामीकर्ताओं ने इस संग्रह के लिए उन्हें बड़ी रकम देने की पेशकश की लेकिन उन्होंने मना कर दिया क्योंकि उनके अनुसार, यह धरोहरें अनमोल हैं। बापू के इस अनुयायी का कहना है कि उन्हें राष्ट्रपिता के ये स्मृति चिह्न प्रख्यात गांधीवादी राघव पोडुवाल से कई साल पहले मिले थे। तीन माह पहले उन्होंने यह सोच कर इन स्मृति चिह्नों को नीलामीकर्ताओं के पास भेजा कि ऐसा करने से ये सुरक्षित हाथों में पहुंच जाएंगे और आने वाली पीढ़ी के लिए इन्हें सहेज कर रखा जा सकेगा। उन्होंने बताया कि बापू को जब बिड़ला भवन में गोली मारी गई थी तब बाहर तैनात सुरक्षा कर्मियों में से एक सूबेदार पीपी नांबियार ने बापू के खून में भीगी रेत उठा ली थी। नांबियार लंबे समय तक इसे अपने पास रखे रहे। कुछ समय पहले उन्होंने केरल में अखबारों में विज्ञापन दिए कि वह यह रेत उस व्यक्ति को देना चाहते हैं जो इसे संरक्षित करने के लिए तैयार हो। तब एंटनी ने नांबियार से मुलाकात की और उनके पास से चुटकी भर वह रेत ली जो बापू के खून से भीगी थी।
वर्ष 1948 में महात्मा गांधी की हत्या के बाद उनके खून से भीगी चुटकी भर रेत, उनके हस्तलिखित पोस्ट कार्ड्स और एक चश्मे की लंदन में नीलामी की जाएगी।
अब तक बापू के ये स्मृति चिह्न केरल के एक सेवानिवृत्त शिक्षक तथा गांधीवादी एंटनी चित्ताट्टुकारा ने अपने पास संजो कर रखे थे। उनका कहना है कि बापू के इन अमूल्य स्मृति चिह्नों को लंदन स्थित लुडलो रेसकोर्स के मुलोक्स में नीलामी के लिए रखा जाएगा। एंटनी ने कहा कि बापू की धरोहरों की प्रामाणिकता एवं इनके एंटनी के अधिकार में आने की परिस्थितियों के बारे में स्पष्टीकरण जैसी औपचारिकताएं पूरी होने के बाद नीलामी की तारीख घोषित की जाएगी। उन्होंने कहा कि उनके संग्रह में बापू के आठ पत्र, कुछ हस्तलिखित पोस्टकार्ड, कुछ टाइप किए हुए पत्र, चश्मा, बापू की मातृभाषा गुजराती में लिखी प्रार्थना की पुस्तिका, प्रार्थना सभाओं में दिए गए उनके भाषणों का एक ग्रामोफोन रिकार्ड हैं। यह वह चश्मा है जिसे बापू लंदन में कानून की पढ़ाई के दौरान पहनते थे। इसके साथ ही, लंदन के नेत्र रोग विशेषज्ञ द्वारा दिया गया फलालैन का एक टुकड़ा भी उनके संग्रह में है।
एंटनी के अनुसार, बापू के स्मृतिचिह्नों को उन्होंने करीब 20 साल से बैंक के लॉकर में रखा है। उन्होंने बताया कि पूर्व में कुछ नीलामीकर्ताओं ने इस संग्रह के लिए उन्हें बड़ी रकम देने की पेशकश की लेकिन उन्होंने मना कर दिया क्योंकि उनके अनुसार, यह धरोहरें अनमोल हैं। बापू के इस अनुयायी का कहना है कि उन्हें राष्ट्रपिता के ये स्मृति चिह्न प्रख्यात गांधीवादी राघव पोडुवाल से कई साल पहले मिले थे। तीन माह पहले उन्होंने यह सोच कर इन स्मृति चिह्नों को नीलामीकर्ताओं के पास भेजा कि ऐसा करने से ये सुरक्षित हाथों में पहुंच जाएंगे और आने वाली पीढ़ी के लिए इन्हें सहेज कर रखा जा सकेगा। उन्होंने बताया कि बापू को जब बिड़ला भवन में गोली मारी गई थी तब बाहर तैनात सुरक्षा कर्मियों में से एक सूबेदार पीपी नांबियार ने बापू के खून में भीगी रेत उठा ली थी। नांबियार लंबे समय तक इसे अपने पास रखे रहे। कुछ समय पहले उन्होंने केरल में अखबारों में विज्ञापन दिए कि वह यह रेत उस व्यक्ति को देना चाहते हैं जो इसे संरक्षित करने के लिए तैयार हो। तब एंटनी ने नांबियार से मुलाकात की और उनके पास से चुटकी भर वह रेत ली जो बापू के खून से भीगी थी।