बुधवार, फ़रवरी 16, 2011

सौ साल पुरानी हवाई डाक सेवा की कहानी दोहरायी गयी

 दुनिया की पहली हवाई डाक सेवा भारत मे
करीब सौ साल पहले 18 फरवरी, 1911 को इलाहाबाद से नैनी (इलाहाबाद) तक 6500 पत्रों को लेकर जाने वाली प्रथम आधिकारिक हवाई डाक सेवा हुई की गई थी। इसे फ्रांस के पायलट हेनरी पीक्वेट ने उड़ाया था। यह विश्व की सर्वप्रथम हवाई डाक सेवा का शुभारंभ था।


18 फरवरी, 1911 को उस इतिहास रचा गया जब हेनरी पीक्वेट ने इलाहाबाद में यमुना के दाहिने किनारे से एक हेवर हवाई जहाज ने उड़ान भरी और  यमुना नदी पार कर 6500 पत्र और पोस्टकार्ड वाली डाक थेले को नैनी रेलवे स्टेशन पर ड्राप किया था। इससे भारत विश्व में हवाई डाक पहुंचाने वाला पहला देश बन गया था। हवाई डाक सेवा के सौ वर्ष पूरे होने की स्मृति में डाक विभाग द्वारा आयोजित समारोह में राज्यपाल जोशी ने बमरौली हवाई अड्डे से चेतक हेलीकाप्टर को झंडी दिखाकर रवाना किया। 500 पत्रों से भरे डाक थैले को ले जाने वाले इस चेतक के पायलट विंग कमांडर मुकेश कोठारी एवं स्क्वाड्रन लीडर अंशुल सक्सेना थे। उड़ान भरने के बाद हेलीकाप्टर पीएसी की ग्राउन्ड नैनी में पत्रों के थैले को डाक विभाग को सौंपा। डाक विभाग ने इस अवसर पर चार डाक टिकटों का एक सेट जारी किया। इसका विमोचन राज्यपाल ने किया।


हवाई डाक सेवा के 100 वर्ष पर चार डाक टिकटों के सेट प्रथम दिवस आवरण और मिनी शीट के माध्यम से डाक विभाग ने यमुना नदी के ऊपर से की गई प्रथम हवाई डाक उड़ान के इतिहास को उड़ान के पथ के साथ-साथ इस हवाई जहाज और पायलट को अंकित किया है। पृष्ठभूमि में इलाहाबाद का किला है। प्रथम दिवस आवरण पर विगत वर्षों में जारी किये गए डाक टिकटों के कोलाज को दर्शाया गया है।

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