कांग्रेस : गठजोड़ के रोड़े
पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु समेत देश के पांच राज्यों में आगामी विधानसभा चुनावों के लिहाज से क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन का मुद्दा कांग्रेस के लिए पेचीदा बना हुआ है।
पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस एक तरह से खुद को प्रमुख पार्टी के तौर पर प्रदर्शित कर रही है। उधर 2 जी स्पेक्ट्रम मामले में कठिनाई में आई द्रमुक की बात करें तो कांग्रेस नेताओं का कहना है कि उनके पास तमिलनाडु में द्रमुक नीत गठजोड़ में शामिल होने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता।
ममता ने पिछले हफ्ते कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की थी, लेकिन दोनों नेताओं के बीच बातचीत के बारे में किसी भी तरफ से जानकारी नहीं दी गई। पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव कुछ ही महीने बाद होने हैं और उनसे पहले नये साल में सोनिया-ममता की यह पहली मुलाकात है। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. करुणानिधि भी दिल्ली आ रहे हैं और वह अपने प्रदेश में गठबंधन पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से विचार विमर्श करेंगे। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने हाल ही में चेन्नई में कहा था कि उनका गठबंधन मजबूत है।
तमिलनाडु के कांग्रेस नेता भी निजी तौर पर अलग धुन अलाप रहे हैं। उनका कहना है कि द्रमुक केंद्र की संप्रग सरकार में तीसरी सबसे बड़ी घटक पार्टी है। इसलिए कांग्रेस प्रदेश में अन्य किसी गठजोड़ के बारे में नहीं सोच सकती। एक वरिष्ठ नेता ने कहा, 'नेतृत्व चाहता है कि केंद्र सरकार सुरक्षित रहे आैर इसलिए हमें यह जानकर भी प्रदेश में द्रमुक के साथ रहना होगा कि वह 2 जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में आलोचनाओं के घेरे में है।"
पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस गठबंधन के लिए 294 में से 98 सीटें मांगने की प्रदेश कांग्रेस की योजना पर त्यौरियां चढ़ा ली हैं। इस मुद्दे पर प्रदेश के दोनों पार्टियों के नेताओं के बीच बहस सामने आ रही है।
इन दोनों प्रदेशों के अलावा केरल, असम और पुडुचेरी में भी विधानसभा चुनाव होने हैं। केरल में कांग्रेस समान विचार वाले दलों के यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट की अगुवाई कर रही है और गत लोकसभा चुनाव में अच्छे प्रदर्शन के बाद गठजोड़ इस बार काफी उत्साह में है। प्रदेश में इस गठजोड़ का चिर प्रतिद्वंद्वी सत्तारूढ़ लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) है।
पुडुचेरी में कांग्रेस अपने दम पर सत्ता में है वहीं असम में यह बोडो दल के समर्थन से राज कर रही है। कांग्रेस महासचिव और असम में पार्टी मामलों के प्रभारी दिग्विजय सिंह के अनुसार प्रदेश में गठबंधन के बारे में अभी तक कोई फैसला नहीं किया गया है। संकेत यह भी मिलता है कि पार्टी अपने दम पर ही किस्मत आजमा सकती है।
पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु समेत देश के पांच राज्यों में आगामी विधानसभा चुनावों के लिहाज से क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन का मुद्दा कांग्रेस के लिए पेचीदा बना हुआ है।
पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस एक तरह से खुद को प्रमुख पार्टी के तौर पर प्रदर्शित कर रही है। उधर 2 जी स्पेक्ट्रम मामले में कठिनाई में आई द्रमुक की बात करें तो कांग्रेस नेताओं का कहना है कि उनके पास तमिलनाडु में द्रमुक नीत गठजोड़ में शामिल होने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता।
ममता ने पिछले हफ्ते कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की थी, लेकिन दोनों नेताओं के बीच बातचीत के बारे में किसी भी तरफ से जानकारी नहीं दी गई। पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव कुछ ही महीने बाद होने हैं और उनसे पहले नये साल में सोनिया-ममता की यह पहली मुलाकात है। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. करुणानिधि भी दिल्ली आ रहे हैं और वह अपने प्रदेश में गठबंधन पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से विचार विमर्श करेंगे। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने हाल ही में चेन्नई में कहा था कि उनका गठबंधन मजबूत है।
तमिलनाडु के कांग्रेस नेता भी निजी तौर पर अलग धुन अलाप रहे हैं। उनका कहना है कि द्रमुक केंद्र की संप्रग सरकार में तीसरी सबसे बड़ी घटक पार्टी है। इसलिए कांग्रेस प्रदेश में अन्य किसी गठजोड़ के बारे में नहीं सोच सकती। एक वरिष्ठ नेता ने कहा, 'नेतृत्व चाहता है कि केंद्र सरकार सुरक्षित रहे आैर इसलिए हमें यह जानकर भी प्रदेश में द्रमुक के साथ रहना होगा कि वह 2 जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में आलोचनाओं के घेरे में है।"
पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस गठबंधन के लिए 294 में से 98 सीटें मांगने की प्रदेश कांग्रेस की योजना पर त्यौरियां चढ़ा ली हैं। इस मुद्दे पर प्रदेश के दोनों पार्टियों के नेताओं के बीच बहस सामने आ रही है।
इन दोनों प्रदेशों के अलावा केरल, असम और पुडुचेरी में भी विधानसभा चुनाव होने हैं। केरल में कांग्रेस समान विचार वाले दलों के यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट की अगुवाई कर रही है और गत लोकसभा चुनाव में अच्छे प्रदर्शन के बाद गठजोड़ इस बार काफी उत्साह में है। प्रदेश में इस गठजोड़ का चिर प्रतिद्वंद्वी सत्तारूढ़ लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) है।
पुडुचेरी में कांग्रेस अपने दम पर सत्ता में है वहीं असम में यह बोडो दल के समर्थन से राज कर रही है। कांग्रेस महासचिव और असम में पार्टी मामलों के प्रभारी दिग्विजय सिंह के अनुसार प्रदेश में गठबंधन के बारे में अभी तक कोई फैसला नहीं किया गया है। संकेत यह भी मिलता है कि पार्टी अपने दम पर ही किस्मत आजमा सकती है।
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