शनिवार, जनवरी 15, 2011

१६ जनवरी : धार्मिक स्वतंत्रता दिवस



भारत की धार्मिक सहिष्णुता की दुनिया देती है दाद
दुनियाभर में आधुनिकता आैर सहिष्णुता की शिक्षा के प्रचार-प्रसार के बावजूद मजहबी कट्टरपन बढ़ रहा है। धार्मिक स्वतंत्रता पर हमले हो रहे हैं। हालांकि, भारत कभी कभार धर्म के नाम पर दंगे हो जाते हैं, लेकिन इनके पीछे धार्मिक स्वतंत्रता को दबाने का उद्देश्य नहीं होता। आज पाकिस्तान, अफगानिस्तान, सूडान, इराक, यमन, नाइजीरिया आैर इनके अतिरिक्त बहुत से मुल्कों में हिंसा चरम पर है। इसके पीछे कहीं न कहीं धार्मिक कट्टरपन जिम्मेदार है।
अमेरिका जैसा देश भी भारत की धार्मिक सहिष्णुता को बेमिसाल मानता है। विकीलीक्स द्वारा सार्वजनिक किए गए एक गोपनीय अमेरिकी राजनयिक संदेश से भी विदेशों में भारत की धर्मनिरपेक्ष छवि स्पष्ट हो जाती है। नई दिल्ली स्थित अमेरिकी दूतावास से 2006 में भेजे गए इस राजनयिक संदेश में कहा गया था कि अमेरिका भारत की धर्म निरपेक्षता से सीख ले सकता है, जहां बहुधर्मीय बहु संस्कृति आै बहु जातीय समाज है तथा ये सभी स्वतंत्रता के साथ जीते हैं आैर अपने धार्मिक कार्यकलापों को स्वतंत्र होकर संपन्न करते हैं।


अप्रैल 2006 में भेजे गए इस संदेश को गार्जियन अखबार ने प्रकाशित किया जिसमें भारत की धर्म निरपेक्ष प्रकृति आैर धार्मिक सहिष्णुता की जमकर तारीफ की गई। इसमें कहा गया कि आज जब बहुत से देशों में धर्म के नाम पर चरमपंथ बढ़ रहा है, ऐसे में भारत सही दिशा की ओर अग्रसर है। धार्मिक स्वतंत्रता निगरानी समिति ने हाल ही में भारत में भी धार्मिक स्वतंत्रता का अध्ययन किया आैर कहा कि इस मामले में कुल मिलाकर भारत की स्थिति अच्छी है।


समिति ने कहा कि भारत के लोग उदार हैं आैर अल्पसंख्यक निर्भीक होकर अपने धर्म का पालन करते हैं। उनकी धार्मिक स्वतंत्रता पर किसी तरह की कोई पाबंदी नहीं है। निगरानी समिति ने हालांकि यह भी कहा कि कुछ राज्य सरकारें धर्म परिवर्तन विरोधी कानून बनाकर धार्मिक स्वतंत्रता को सीमित करने की कोशिश करती हैं।



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