रविवार, जनवरी 02, 2011

2010 : संसद का लेखाजोखा

सालभर आहत रहीं मीरा

सदन के सुचारू संचालन के लिए लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार गुजरे वर्ष के तीनों सत्रों में सदस्यों से बार-बार अपील करती रहीं, लेकिन सांसदों के कानों पर जूं नहीं रेंगी। संसद में व्यवधान तथा जबरन स्थगन के चलते न केवल 269 घंटे का समय व्यर्थ गवांया गया, बल्कि अरबों रुपए की करदाताओं की गाढ़ी कमाई को भी स्वाहा कर दिया। संसद के बजट सत्र, मानसू़त्र सत्र आैर शीतकालीन सत्र को मिलाकर वर्ष भर में कुल 80 बैठकें हुई। इनमें से व्यवधान आैर स्थगन के चलते 27 दिन कोई कामकाज नहीं हुआ। इस प्रकार लोकसभा ने 33 फीसदी यानी करीब एक तिहाई समय बर्बाद कर दिया।


बजट सत्र : बजट सत्र में लोकसभा की 32 बैठकें हुई, जिनकी कुल अवधि 137 घंटे तथा 51 मिनट थी। सरकार ने 27 विधेयक पेश किए आैर 21 विधेयक पारित किए गए, लेकिन बजट सत्र के दूसरे चरण में 17 दिन में से केवल नौ दिन ही प्रश्नकाल हो सका। शुरुआत से ही सदस्यों से सदन को सुचारू रूप से चलाने की बार-बार अपील करने वाली स्पीकर मीरा कुमार ने इस बात पर बेहद चिंता जताई थी कि लगातार व्यवधान के चलते प्रश्नकाल प्रभावित हुआ है। उन्होंने बेहद आहत स्वर में कहा था कि इस प्रकार का व्यवधान संसद जैसी महत्वपूर्ण संस्था को अप्रासंगिक बना देगा।


मानसून सत्र : 26 जुलाई से शुरू होकर 31 अगस्त तक चले संसद के मानसून सत्र में भी कामकाज की कमोबेश यही स्थिति रही। 136 घंटे तथा 10 मिनट की समयावधि में सिमटी लोकसभा की 26 बैठकों में से 11 दिन प्रश्नकाल बाधित हुआ। सूचीबद्ध 460 तारांकित सवालों में से केवल 46 सवालों के ही सदन में जवाब दिए जा सके। इस प्रकार मौखिक प्रश्नों का आैसत बजट सत्र में 2.37 सवाल प्रतिदिन से आैर नीचे गिरकर 1.91 पर पहुंच गया। मानसून सत्र में महंगाई, पेट्रोल की कीमतों में वृद्धि, कॉमनवेल्थ गेम्स आैर अवैध खनन को लेकर विपक्ष ने भारी हंगामा किया। इस सत्र में भी स्पीकर ने यहां तक कहा, 'राजनीतिक दलों आैर सदस्यों को निजी तौर पर संसदीय लोकतंत्र को हो रही इस क्षति पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। हम यहां अनगिनत देशभक्त भारतीयों के बलिदानों की बदौलत बैठे हैं। मैं सभी संंबंधित पक्षों से अपील करती हूं कि सदन की गरिमा की रक्षा करें।" लेकिन बजट सत्र आैर मानसून सत्र में की गई स्पीकर की इन अपीलों का सदस्यों पर कोई असर नहीं हुआ।


शीतकालीन सत्र : 2 जी स्पैक्ट्रम पर बना गतिरोध सत्र की समाप्ति तक बरकरार रहा। इस पर हुए हंगामे के कारण करदाताओं की करीब डेढ़ अरब रुपए रही की गाढ़ी कमाई पर पानी फिर गया। 2 जी स्पैक्ट्रम, आदर्श हाउसिंग सोसायटी आैर कॉमनवेल्थ गेम्स के घोटालों के मामलों की संयुक्त संसदीय समिति से जांच कराने पर अड़े विपक्ष के हंगामे के कारण नौ नवम्बर से शुरू हुए शीतकालीन सत्र में कोई खास कामकाज नहंी हुआ।


बैठकें स्थगित, गाढ़ी कमाई स्वाहा


-एक सत्र की एक दिन की कार्रवाई पर 7.65 करोड़ रुपए का खर्च
-संसद के बजट सत्र, मानसू़त्र सत्र आैर शीतकालीन सत्र को मिलाकर वर्ष भर में कुल 80 बैठकें हुई।


-इनमें से व्यवधान आैर स्थगन के चलते 27 दिन कोई कामकाज नहीं हुआ। लोकसभा में 33 फीसद समय व्यर्थ

-2010 : लोकसभा में 33 फीसदी यानी करीब एक तिहाई समय बर्बाद हुआ

-बजट सत्र : 69 घंटे आैर 51 मिनट का समय गंवाया

-मानसून सत्र : 45 घंटों के अमूल्य समय पर पानी फिर गया।

-शीतकालीन सत्र : 23 दिन में से 22 दिन की कार्यवाही ही नहीं हुई।


-पूरे सत्र में 620 तारांकित प्रश्न सूचीबद्ध थे, लेकिन केवल 76 सवालों का ही मंत्री प्रश्नकाल में जवाब दे पाए। कुछ खास


-इस प्रकार आैसतन प्रतिदिन 2.37 सवालों को ही प्रश्नकाल में लिया गया।

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